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घटती रही हरे चारे की खेती तो होंगे बुरे परिणाम, किसानों के पास क्या है उपाय ?

manoj-datkhile | November 30 , -0001 | Uncategorized
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पशुधन संख्या (535.82 मिलियन) और  दुग्ध उत्पादन (187.7 मिलियन टन) के मामले में विश्व में भारत का  प्रथम  स्थान है जिसका कृषि सकल मूल्य वर्धित यानी ग्रास वेल्यू एडेड (Grass value added) में लगभग 28.4 प्रतिशत का योगदान है. इतना ही नहीं, भारत में वर्तमान में दूध उत्पादन की अपार सम्भावनाएं है बशर्ते की पशु को हरे चारे की आवश्यक मात्रा उपलब्ध हो. गौरतलब है कि हरे चारे का पशु  के स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है. भारतीय चारागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के विजन (2050) के अनुसार  साल 2030 में भारत में हरे चारे की 24.39 प्रतिशत और सूखे चारे की 11.98 प्रतिशत की कमी हो जाएगी. जबकि वर्तमान में 33.10 प्रतिशत हरा चारा, 11.41 प्रतिशत सूखा चारा और 64 प्रतिशत पशु आहार/खाद्य की बेहद कमी है. पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश की एक वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार 38.2 प्रतिशत हरे चारे और 46.98 प्रतिशत कम्पाउन्ड फीड की कमी है जबकि लगभग 8.78 लाख हेक्टर क्षेत्र हरे चारे की खेती के अन्तर्गत आता है. अनाज और चारा फसलों के बीच अप्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा की वजह से हरे चारे के लिए क्षेत्र को बढ़ाने की संभावनाएं कम है. इसलिए भारत में पशुधन और दूध उत्पादन के लिए अन्य विकल्प तलाशने की जरूरत है.

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