सात समंदर पार से आए ‘ मेहमान परिंदे ‘ जिले के जल संपन्न अलौकिक स्थलों पर हो रहे सरस के दर्शन
गोंदिया:सरस विश्व का सबसे विशाल उड़ाने वाला पक्षी है तथा इसे प्रेम के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है इनके लिए सरहदों की सीमाएं , समुंद्र और ऊंचाइयां कोई मायने नहीं रखती ।
लंबे पैर , लंबी सफेद गर्दन , चोंच, सुंदर बड़े पंखों वाले दुर्लभ प्रजातियों के सारस पक्षियों की अठखेलियां देखना भला किसे अच्छा नहीं लगता ?
इस बार नवंबर माह में यूरोपियन देश साइबेरिया से हिमालय की ऊंची पहाड़ियों को पार कर अपने जोड़ीदार के साथ उड़ान भरकर गोंदिया जिले के अलौकिक जल संपन्न स्थानों पर इनका पहुंचना शुरू हो गया है।
*धान के खेत, तालाब- नदियों को बनाया अपना आशियाना*
सरस पक्षियों के लिए यहां के धान के खेत , तालाब -नदियां , आवास – भोजन व सुरक्षा की दृष्टि से अनूकूल है लिहाज़ा कई प्रजातियों के सारस पक्षियों का आना शुरू हो चुका है इसके बाद ग्रीष्म ऋतु के आगमन के साथ मार्च-अप्रैल में यह अपने मूल स्थान पर वापस चले जाते है।
गौरतलब है सारस पक्षी पूरे महाराष्ट्र में केवल गोंदिया जिले और पड़ोसी मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में दिखाई देते हैं।
बाघ एवं वैनगंगा नदी गोंदिया- बालाघाट दोनों जिलों को विभाजित करती है , भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों और प्रदेश की जैव विविधता में काफी समानता पाई जाती है। इस बार बालाघाट जिले के अलौकिक जल्द संपन्न स्थानों पर 18 से 23 सारस ने दर्शन दिए हैं वहीं गोंदिया जिले के परसवाड़ा , झिलमिली , नवेगांव बांध , झलिया तालाब , बाघ नदी किनारे , नवा तालाब , चुलबंद प्रकल्प और अंजोरा तालाब आदि स्थानों पर 42 से 45 सारस पक्षियों ने अब तक दर्शन दिए हैं तथा इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है जो अच्छे संकेत हैं।
*सारस के विश्रांति स्थल पर हो रही इनकी गणना*
बड़े ऊंचे , रुबाबदार और ऐश्वर्य से संपन्न सरस पक्षियों के सम्मेलन (कॉग्रिनेशन) मैं पहुंचने वाले यह पक्षी कुछ दिन या हफ्ते अपने जोड़ीदार के साथ रहकर गुजारते हैं इस दौरान सारस पक्षियों के संरक्षण कार्य व गणना की सेवा में गत २ दशक से जुटी सेवा संस्था ( Suttainnig Environment & wildlife ) यह वन मंडल एवं विभाग के साथ मिलकर
जनजागृति अभियान चलाती है।
जिन किसानों के खेतों में सारस पक्षी विचरण करता है या घोंसले बनाता है उन किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है साथ ही सारस मित्रों को सम्मानित कर उनकी हौसला-अफजाई की जाती है।
इस तरह सेवा संस्थान दोनों जिलों में कार्य कर रही है तथा
संस्था अध्यक्ष सावन बहेकार , सविजीत परिहार , चेतन जसानी , अभय कोचर , अंकित ठाकुर , शशांक लाड़ेकर , कन्हैया उदापुरे, दुष्यंत आकरे , विशाल कटरे, तृपराज राणा , रवि पालेवार, वसंत बोपचे, पप्पू बिसेन , बबलू चुटे , विशांत देशमुख , सिकंदर मिश्रा आदि अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।