मूली की उन्नत खेती कर कमाए लाखो रुपये?
कृषिफेरी   परिवार से ताल्लुक रखने वाली मूली खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, जो खाने में बेहद स्वादिष्ट और फायदेमंद होती है. मूली में विटामिन, कॉपर, कैल्शियम, मैग्नेशियम और रिबोफलेविन जैसे तत्व प्रमुख रूप में पाए जाते हैं. यह एक सदाबहार सब्जी है जो देश के ज्यादातर हिस्सों में पैदा की जाती है. यूपी, बंगाल, बिहार, पंजाब और कर्नाटक में मूली की खेती प्रमुखता से की जाती है. तो आइए जानते हैं मूली की उन्नत खेती करने के तौर तरीके.
मूली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil for radish cultivation)
मूली की खेती के लिए 5.5 से 6.8 पीएच मान की रेतीली दोमट और भुरभुरी मिट्टी सबसे उचित मानी जाती है. मूली की खेती भारी और ठोस मिट्टी में नहीं करनी चाहिए.
मूली की प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं (Major varieties of Radish)
जापानी वाइट मूली- ये किस्म जापान से ताल्लुक रखती है. जिसे भारत में मैदानी क्षेत्रों में नवंबर और दिसंबर महीने में उगाया जा सकता है. इसकी जड़े सफेद और बेलनाकार होती है. ये किस्म प्रति एकड़ जमीन में लगभग 160 क्विंटल की पैदावार देती है.
पूसा चेतकी- पंजाब राज्य के लिए संशोधित यह किस्म अप्रैल और अगस्त महीने में बोई जाती है. मध्यम लंबे आकार की यह मूली देखने में सफेद और नर्म जड़ों वाली
होती है. प्रति एकड़ भूमि में इसकी 105 क्विंटल पैदावार ली जा सकती है.
पूसा हिमानी- 60 से 65 दिनों में तैयार होने वाली ये किस्म जनवरी और फरवरी महीने में बोई जाती है. इस किस्म से प्रति एकड़ जमीन में 160 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है. यह किस्म दिखने में यूं तो सफेद होती है लेकिन शिखर पर यह हरे रंग की होती है.
पूसा देशी- 50 से 55 दिनों में तैयार होने वाली मूली की यह किस्म उत्तरी मैदानी क्षेत्रों के लिए अनुकूल है. यह भी दिखने में सफेद रंग की होती है.
पूसा रेशमी- यह मूली की अगेती किस्म है जो 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है.
अर्का निशांत- 50 से 55 दिनों में तैयार होने वाली मूली की यह किस्म दिखने में गुलाबी और लंबी होती है.
रैपिड रेड वाइट- यह मूली मात्र 25 से 30 दिनों में तैयार हो जाती है. यह मूली की यूरोपियन किस्म है, जिसकी जड़ें छोटी और लाल रंग की होती है लेकिन अंदर से सफेद ही रहते है.
मूली की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें? (Preparation of field for radish cultivation)
खेत की दो तीन बार अच्छे से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. जिसमें लगभग 5 से 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की खाद डालना उचित रहता है.
मूली की बुवाई का तरीका (Method of sowing radish)
मूली के लिए लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 7.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं बीज को 1.5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए. मूली की बिजाई छिटकाव विधि से भी कर सकते हैं. प्रति एकड़ के हिसाब से मूली का 4 से 5 किलो बीज लिया जाता है. अच्छी पैदावार लेने के लिए मूली की बिजाई मेड़ों पर करनी चाहिए.
मूली की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Compost and fertilizer for radish cultivation)
गोबर खाद के अलावा प्रति एकड़ नाइट्रोजन 25 किलो और फास्फोरस 12 किलो लेना चाहिए. इसके लिए खेत में 55 किलो यूरिया और 75 किलो सिंगल सुपर फास्फेट डालना चाहिए.
मूली की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for radish cultivation)पहली सिंचाई बिजाई के बाद करें. गर्मी के दिनों में 6 से 7 दिनों के अंतराल से सिंचाई करें जबकि सर्दी में 10 से 12 दिनों के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. मूली की फसल में अधिक सिंचाई करने से बचें क्योंकि इससे मूली की जड़ों पर बालों की अधिकता हो जाती है.
मूली की खुदाई (Harvesting of radish)
किस्म के अनुसार मूली 25 से 60 दिनों तक तैयार हो जाती है. हाथों से मूली उखाड़कर जड़ों को धोएं और बेचने के लिए बाजार में भेजें.