एशिया की सबसे बड़ी थोकमंडी मुंबई APMC मार्केट का बुरा हाल,व्यापारी,किसान,मज़दूर,ग्राहक बेहाल; संचालक मंडल मालामाल!
Navi Mumbai APMC : मानसून (Monsoon) के आते ही एशिया की सबसे बड़ी थोक मंडी नवी मुंबई वाशी (Navi Mumbai Vashi) परिसर में स्थित 
कृषि उत्पन्न बाजार समिति (APMC) मार्केट की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। यहाँ के   आलू प्याज़ की थोक मंडी की बात करे तो पिछले २० सालों से २७२ गाले पूरी तरह जर्जर हो चुकी हे और मार्केट   जो पूरी तरह बैंड हो चुकी हे ,दुकान के बाहर और धक्के पर छज्जा गिरने सुरु हो चुकी हे ,यहाँ की सफ़ सफ़ाई   और रास्ते की बात करे तो कितने सालो से गटर लाइन पुरी   तरह खुली नेहीं हे जिससे   १२ महीने पानी और गंदगी जमा रहता हे ऐसा आरोप व्यापारियो ने लगाया है. बारिश आते ही एक तरफ जहां इससे व्यापारी परेशान हैं, वहीं बाजार में आने वाले किसानों, वाहन चालकों और फुटकर विक्रेताओं को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं परिसर में बनाए गए कार्यालय के एसी कमरों में बैठकर अधिकारी आंखें बंद किए हुए हैं। व्यापारी प्रतिनिधि की बात करे तो जो ज़रूरी काम करनी चाहिए वह छोड़कर आपने फ़ायदा वाली काम करवा रहे हे ऐसा व्यपारियो का कहना है, अगर कोई व्यापारी इस विषय में शिकायत करता है तो उसे संचालक के माध्यम से परेशान किया जाता है, जिससे कोई मुंह नहीं खोलता।  व्यापारियों का आरोप है कि 2006 के बाद से अब तक खानापूर्ति के लिए सड़कों की मरम्मत होती रही है।
दूसरी एक थोक मंडी अनाज व मसाला मंडी के बात करे तो सबसे ज़्यादा tax इस मंडी से बाज़ार समिति को मिलता हे लेकिन यहाँ जो काम किया गया हे वह निकृष्ट दर्जा के कारण रास्ते व गाले के सामने पड़ने वाली खड़े और बारिश के कारण बने तालाब यह जीत जागता उदाहरण हे ,मंडी में काम होते समय जो संचालक के बात सुनते हे उन्हीं दुकान के सामने काम होती हे जिस व्यपारियो ने खिलाप गया उसका दुकान का सामने का काम बंद . इस रवैया के कारण मार्केट में व्यापारी करोड़ों रुपये tax भरने के बाद भी बदतर गंदगी और जान हथेली पर लेकर व्यापार कर रहे है.
मुंबई एपीएमसी मार्केट एशिया की सबसे बड़ी मंडी है, जहां पर   प्रत्येक राज्य व विदेशों से समान आते है, वहीं दूर-दूर तक के फुटकर विक्रेता यहां से सामान ले जाकर दुकानों में बेचते हैं।
बारिश के पानी से घिरे रहते हैं गाले
बारिश के समय यहां की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि बाजार के अंदर   चलने लायक स्थिति नहीं है। बारिश बंद होने के बावजूद   गालों के आसपास जलभराव रहता है।
गटर जाम होने से बढ़ी समस्या
मार्केट के सभी गटर जाम हैं और खुले पड़े हुए हैं जिनमें फंसकर छोटे वाहन की टायर कट जाते हैं और दुपहिया वाहनों के चालक गिरने से चोटिल होते हैं। मसाला मार्केट पूरी तरह पानी से घिरा हुआ है। तीनों   मार्केट के लगभग २ हज़ार व्यापारी और हज़ार मजदूर   इस समस्या से जूझने को मजबूर हैं।
व्यापारियों का छलका दर्द, चौपट हो रहा धंधा
व्यापारियों का दर्द यह है कि जलभराव के कारण न तो किसान यहां आना चाह रहे हैं और न ही फुटकर विक्रेता। जिसके कारण पूरा व्यवसाय चौपट हो रहा है। किसानों और व्यापारियों के लिए जो संचालक मंडल हे वे आपने कामो में व्यस्त हे और एपीएमसी प्रशासन देखकर भी अनदेखा कर रही हे .मंडी   सेस और दुकानों ,गोदामो के भाड़े से हर महीने करोड़ों रुपए कमाने वाले सभापति और सचिव कान में तेल डालकर मस्त हैं। ऐसा नहीं है कि एपीएमसी मार्केट की ऐसी स्थिति पहली बार हुई है, बल्कि हर वर्ष इसी तरह की समस्याओं से व्यापारियों, किसानों और मज़दूरों को जूझना पड़ता है।
सुरक्षा रक्षक से बढ़े अपराध
बाज़ार समिति के थोक मंडी की चार दिवारो की भीतर सुरक्षा के लिए मार्केट में लगभग २८० सुरक्षा अधिकारी व कर्मचारी तैनात हे ।मात्र 
मंडी   के सुरक्षा रक्षकों के कारण यहाँ अवैध व्यापार ,चोरी ,गाँजा,गुटखा और अवैध बंधकाम की वारदातें भी बढ़ गई हैं। संचालक मंडल व Apmc सचिव के कारण मार्केट की सुरक्षा राम भरोसे हो गई है । इस संबंध में संचालक सुधीर कोठारी व सभापति अशोक डक   का कहना हे की मार्केट की इस परिस्थिति का ज़िम्मेदार शिंदे सरकार हे, संचालक मंडल को पिछले आठ महीनों से काम नेही करने दिया जा रहा हे ,लेकिन सचाई कुछ और हे , संचालक मंडल पिछले ३ सालो से बाज़ार समिति में आकर सिर्फ़ टाइम पास किए,मार्केट की समस्या को नज़र अंदाज़ किया गया .संचालक मंडलों की फूट के कारण और जिस बाज़ार समिति से चुनकर आये थे उनके कार्यकाल समाप्त होने से निलंबित किया गया था जिससे संचालक अपात्र हुए थे .लेकिन अपनी नाकामी और गलती को छुपाने के लिए तरह तरह की बहाने किया जा रहा हे ।   कोरोना ,शिंदे सरकार और सारे कारण दिखाया जा रहा हे ,इन्हें यह पत्ता नेही हे की ,ये पब्लिक सब जानती हे.. बाज़ार समिति के सचिव राजेश भूसारी की बात करे तो सप्ताह में ३ दिन मार्केट और ४ दिन नागपुर ,
गाड़ियों में बैठकर संचालक मंडल व अधिकारी   दोनों   रास्ते से आते-जाते हैं लेकिन आंखें बंद करके। कुछ व्यापारिओं   का कहना है कि हम तो धरना प्रदर्शन भी नहीं कर सकते, वरना लाइसेंस रिन्यूअल रोक दिया जाएगा और तरह तरह के दंड लगाकर परेशान किया जाएगा। फिलहाल निकट भविष्य में व्यापारियों और किसानों की समस्या का कोई हल हो सकेगा यह असंभव लगता है।