मुंबई APMC होलसेल फल मंडी मैं हापुस के नाम पर नकली आम धड़ल्ले से विक्री ; FDA अधिकारी के साथ हुई ठगी
-किलो में खरीद, दर्जन में बिक्री
-नवी मुंबई APMC फल मंडी में हापुस आम की किस्म के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। बाजारों में खुलेआम कर्नाटक से आए दूसरी प्रजाति के आम को हापुस की पेटियां मे डालकर   बेचा जा रहा है।
मुंबई से FDA अधिकारी उद्धब भामरे आपने रिश्तेदारों क्वे साथ नवी मुंबई के APMC फल मंडी मैं कोकण के हापुस आम के पेटी ३ हजार रूपये मै   खरीदी किये थे।   लेकिन उन्हें क्या पत्ता था की जो आम उन्होंने खरीदी किया है वह कोकण के हापुस आम नहीं दूसरे प्रजाति के आम है। जब भामरे घर पर आम की पेटी खोले तो उनके होस उड़ गए। मुंबई से नवी मुंबई फल मंडी मै FDA अधिकारी भामरे इसलिए आये   थे की ,यंहा अच्छा आम और सस्ता मिलेगा लेकिन १००० रूपये तेल खर्च करने के बाद भी उनको व्यपारियों ने ठगा। जब FDA अधिकारीयों के साथ ठगी किया जा रहा है तो आम ग्राहकों के साथ क्या करते होंगे यंहा के व्यापारी। यह सब मिलावटी का व्यापार   मार्किट के उप सचिव व् मार्किट संचालक के आशीर्वाद से होने की बात कही जा रही है। राज्य सरकार व् एपीएमसी प्रशासन की और से कड़ी करवाई करने की जरुरत है।  
मुंबई एपीएमसी फल मंडी मै फिलहाल ४० से ५० हजार पेटी   आम कोकण से आ रहा है ,लगभग २० से ३० हजार पति आम कर्णाटक ,केरल की आम मंडी मई आरहा है। कोकण हापुस आम के ४ दर्जन पेटी ३००० से ५००० रूपये बिक रहा है वंही कर्नाटक व् केरल हापुस १५० से २०० रूपये किलो बिक रहा है। कोकण हापुस व् कर्णाटक हापुस दोनों हूबहू दीखता है। इसलिए यंहा मंडी मै व्यपारी ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कर्णाटक हापुस   आम थोक भाव मै खरीदते है। इसके बाद देवगढ़ व् रत्नागिरी के रंगीन पुट्ठों की छोटी-छोटी पेटियों में भर कर दर्जन के हिसाब से बेच देते हैं।ग्राहक आसानी से लेकर जाता है।   यह सिलसिला मंडी मैं खुले आम चलता है।   मंडी मै से लेकर सड़कों, गलियों, बाजारों, शॉपिंग मॉल, चौराहों व सिग्नल के आस-पास, रेलवे व बस अड्डों जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में खुदरा विक्रेता आसानी से बेचते   हैं। ये विक्रेता समूहों में रहते हैं और सुबह से शाम तक विभिन्न उपनगरों में घूम-घूम कर आम बेचते हैं। APMC   प्रशासन करवाई करने के नाम पर अनदेखा कर रहा है।  
जीआई टैग के बाद भी ठगी
2018 में कोंकण में उत्पादित हापुस (अल्फांसो) को 'जीआई टैग' की पहचान मिलने से अब सिर्फ इन्हें ही 'हापुस' नाम से खरीदा-बेचा जा सकता है। जीआई टैग से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के अन्य जिलों तथा इस साल से दक्षिण अफ्रीका में उत्पादित इसी प्रजाति के आमों को 'हापुस' नाम नहीं दिया जा रहा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है की मुंबई एपीएमसी फल मार्किट के होलसेल मंडी में मार्केट संचालक व् उप सचिव कोकण हापुस आमों के नाम पर कर्णाटक आम बेचकर बदनाम करने वाले उन व्यपारियों को साथ दे रहे है।