नवी मुंबई मनपा की नई वार्ड रचना : भारी राजनीतिक घमासान के आसार
* भाजपा-आघाडी में कांटे की टक्कर की तस्वीर
* आघाडी की ओर सहूलियतपूर्ण झुकाव की चर्चा
* कोर्ट का रुख करेगी भाजपा
नवी मुंबई। महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार नवी मुंबई के मनपा आयुक्त ने बीते दो वर्षों से प्रलंबित वार्ड रचना आखिरकार मंगलवार को घोषित कर दी। नई वार्ड रचना में मनपा सीमा क्षेत्रांतर्गत बढ़ी आबादी के मद्देनजर 11 वार्डों का इजाफा हुआ है, जिससे अब नवी मुंबई मनपा में कुल 122 वार्ड हो गए हैं। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार इस बार सिर्फ मुंबई मनपा को छोड़कर बाकी सभी महानगरपालिकाओं में पैनल प्रणाली के तहत चुनाव होंगे। इस लिहाज से अब नवी मुंबई मनपा के 41 पैनल बन गए हैं, जिनमें से 40 पैनल 3 सदस्यों के और एक पैनल 2 सदस्यों वाला है। नई वार्ड रचना जारी हुए अभी चंद घंटे भी नहीं बीते थे कि उसे लेकर राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास आघाडी और भाजपा के बीच ठन गई है और उनमें चुनावपूर्व राजनीतिक घमासान के प्रबल आसार दिखाई दे रहे हैं।
भाजपा खटखटाएगी अदालत का दरवाजा
नई वार्ड रचना में राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास आघाडी को फायदे की तस्वीर नजर आने की जोरदार चर्चा है, जिसे लेकर आगामी कुछ दिनों में संघर्ष भड़कने के आसार दिखाई दे रहे हैं। भाजपा ने इसकी पहल करते हुए वार्ड रचना के विरोध में अदालत के दरवाजे खटखटाने का संकेत भी दे दिया है। वार्डों के बढ़ने से उनके परिसीमन में परिवर्तन होगा, यह तो पहले से ही तय था। खैर, निकाय चुनाव के धरातल पर यहां मौजूदा राजनीतिक हालात भाजपा और महाविकास आघाडी में सीधी लड़ाई होने के दिख रहे हैं।
नाईक परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
नवी मुंबई मनपा के चुनाव प्रलंबित होने की वजह से पहले से ही सभी वार्ड रचना को लेकर प्रतीक्षारत थे। चुनाव की पृष्ठभूमि में कोरोना का प्रकोप भले ही अभी मंद पड़ गया है, पर ओबीसी आरक्षण का मुद्दा अब भी बरकरार है। इसी बीच, नै वार्ड रचना के संबंध में 14 फरवरी तक आपत्ति / सुझाव दर्ज कराने की मोहलत दी गई है। नवी मुंबई के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस स्थिति में जहां भाजपा व्दारा सबसे ज्यादा आपत्तियां दर्ज कराए जाने का अंदेशा है, वहीं नई वार्ड रचना में इसके बाद नाममात्र का ही बदलाव होने की उम्मीद है, जिससे अंततः भाजपा के हाथ निराशा ही लगने वाली है। इस तरह के राजनीतिक माहौल में यहां के कद्दावर नाईक परिवार की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लग गई है। किसी दौर में शिवसेना में रहा यह नाईक परिवार कुछ अरसे तक राष्ट्रवादी कांग्रेस में रहने के बाद अब भाजपा में है। फायरब्रांड नेता एवं मौजूदा विधायक गणेश नाईक जहां राज्य के मंत्री और ट्रेड यूनियन लीडर रहे हैं, वहीं उनके सबसे बड़े पुत्र संजीव नाईक न केवल ठाणे लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं। समूचे एशिया में सबसे युवा और नवी मुंबई मनपा का पहला महापौर होने का कीर्तिमान भी उन्हीं के नाम दर्ज है। छोटे पुत्र संदीप नाईक भी इससे पूर्व की विधानसभा में विधायक रहे हैं। हालांकि इससे पहले के सभी मनपा चुनाव गणेश नाईक के नेतृत्व और नाईक परिवार के वर्चस्व में ही लड़े गए हैं, इस लिहाज से मौजूदा हालात में इस बार के मनपा चुनाव नाईक परिवार के लिए एक तरह से लिटमस टेस्ट साबित होंगे।
आघाडी को कसना पड़ेगा शिकंजा
नई वार्ड रचना की तस्वीर भले ही महाविकास आघाडी के फायदे वाली दिख रही हो, पर इतनी आसान राह नहीं है उनके लिए यह। वजह है - आघाडी के स्थानीय आकाओं में आपसी तालमेल का अभाव। ठाणे लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस मनपा की सीमा जहां ठाणे मनपा की सीमा से सटी है, वहीं ठाणे के दिग्गज नेताओं का यहां के राजनीतिक पटल पर स्वाभाविक रूप से प्रभाव है, जिनमें शिवसेना के जिलाप्रमुख एवं राज्य के नगरविकास-सार्वजनिक निर्माणकार्य (उपक्रम) मंत्री एकनाथ शिंदे और गृहनिर्माण मंत्री जीतेंद्र आव्हाड के बीच अकसर ठना रहने वाला शीतयुद्ध सुर्ख़ियों में बना रहता है। इसका दुष्परिणाम नवी मुंबई में न हो, इस सतर्कता के चलते शिवसेना उपनेता विजय नाहटा सारे हालात को भांपकर तीनों दलों को शांतिपूर्वक साथ संभालने के लिए प्रयासरत हैं। आघाडी का मकसद नवी मुंबई में अपना महापौर बनाने का है, पर वार्ड रचना की तस्वीर देख आघाडी के इच्छुकों की महत्वाकांक्षाएं बुलंदी पर हैं, सो टिकट न मिलने पर खासा बगावत होने की आशंका के चलते उन पर शिकंजा कसने की जोरदार कवायद चल रही है।
कई ने किया अपना-अपना पचार शुरू
आघाडी के कई इच्छुक उम्मीदवारों व्दारा नई वार्ड रचना को लेकर भारी प्रसन्नता जताते हुए अपने-अपने पक्ष में लॉबिंग व प्रचारकार्य भी शुरू कर दिए जाने की चर्चा भी जोरों पर है। इनमें से कई ने तो सोशल मीडिया पर बाकायदा अपना वार्ड नंबर डाल आश्चर्यजनक तरीके से खुद की उम्मीदवारी घोषित कर प्रचार करना आरंभ कर दिया है।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
वार्ड बढ़ने पर उनकी रचना किस तरह की जाती है, इस प्रणाली में कैसे वार्ड टूटते हैं और सीमाओं के परिवर्तन के बाद बनने वाले वार्ड से किसे व कैसे फायदा मिलता है, सभी राजनीतिक दलों के इच्छुकों की निगाह इसी पर लगी हुई थी। हाल ही में कुछ दिन पूर्व जीतेंद्र आव्हाड ने गणेश नाईक पर आरोप लगाया था कि मनपा के अधिकारी उनके लिए कार्य कर रहे हैं और वे उनसे अपने मनमुताबिक वार्ड रचना करवा रहे हैं। दूसरी तरफ, पूर्व विधायक संदीप नाईक और पूर्व सांसद संजीव नाईक ने भी राज्य के गवर्नर महामहीम भगतसिंह कोश्यारी से प्रत्यक्ष मिलकर महाविकास आघाडी पर आरोप लगाया था कि वे अपनी सुविधा के मुताबिक वार्ड रचना करा रहे हैं। लिहाजा, नियमानुसार व भौगोलिक रचना के मुताबिक सबकी नजर इस तरफ लगी हुई थी कि वार्ड रचना का ऊंट किस करवट बैठेगा। अंततः वार्ड रचना का झुकाव आघाडी के पक्ष में दिख रहा होने की चर्चा है। इसलिए भाजपा ने आघाडी व्दारा अपनी सुविधानुसार वार्ड रचना कराए जाने का गंभीर आरोप लगाते हुए उसे अदालत में चुनौती देने का स्पष्ट संकेत दिया है।